मनुष्य केवल परमेश्वर की महिमा और
संसार के विकास का निमित है !
हमारे द्वारा जो भी चेष्टा और क्रिया हो रही है,
उसमे परमेश्वर की महिमा और
संसार का विकास हो रहा है !
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मनुष्य केवल परमेश्वर की महिमा और
संसार के विकास का निमित है !
हमारे द्वारा जो भी चेष्टा और
क्रिया हो रही है,
उसमे परमेश्वर की महिमा और
संसार का विकास हो रहा है !
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मनुष्य केवल परमेश्वर की महिमा और
संसार के विकास का निमित है !
हमारे द्वारा जो भी चेष्टा
और क्रिया हो रही है,
उसमे परमेश्वर की महिमा और
संसार का विकास हो रहा है !
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मनुष्य केवल परमेश्वर की महिमा और
संसार के विकास का निमित है !
हमारे द्वारा जो भी चेष्टा और क्रिया हो रही है,
उसमे परमेश्वर की महिमा और
संसार का विकास हो रहा है !
मनुष्य केवल परमेश्वर की महिमा और
संसार के विकास का निमित है !
हमारे द्वारा जो भी चेष्टा और क्रिया हो रही है,
उसमे परमेश्वर की महिमा और
संसार का विकास हो रहा है !